क्या अंतर है गुरु साधु संत ऋषि ब्राह्मण मुन्नी आचार्य पंडित पुजारी सन्यासी में

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हिन्दू धर्म के प्रत्येक वैदिक ग्रंथ में गुरु , ऋषि , मुनि, साधु, संत, संन्यासी, आचार्य, पुजारी, पंडित, ब्राह्मण का जिक्र जरुर होता है, आमतौर पर हम इनके बीच भेद नहीं कर पाते हैं। किसी भी धार्मिक और आध्यात्मिक कर्म से जुड़े व्यक्ति के लिए इनमें से कोई भी संज्ञा इस्तेमाल कर लेते हैं। जबकि मूल रुप से अगर देखें तो इन सबके अर्थ, कार्य और विशेषताएं एक दूसरे से एकदम अलग- अलग हैं। पर शायद ही आपको इन् सब में अंतर पता होगा। तो आइए जानते हैं, गुरु , ऋषि , मुनि, साधु, संत, संन्यासी, आचार्य, पुजारी, पंडित, ब्राह्मण, में क्या अंतर है, आप देख रहे है Anything Nx channel.

                                        

गुरु :   https://bit.ly/2VadsYB

सब से पहले समझते है गुरु का मतलब क्यों के बिना गुरु के बताए रास्ते के कोई भी तो ऋषि मुनि  संत,  साधु,  आचार्य और न ही योगी बन सकता है,

गुरुवो है जो किसी भी व्यक्ति की चेतना को ईश्वर की परम चेतना से मिला देता है। गुरु की

महिमा ऋषि, मुनि, साधु और संतों सबने गाई है।

गु का अर्थ अंधकार और रु का अर्थ प्रकाश। अर्थात जो व्यक्ति आपको अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए वह गुरु होता है। गुरु का अर्थ अंधकार का नाश करने वाला। प्रत्येक गुरु संत होते ही हैं; परंतु प्रत्येक संत का गुरु होना आवश्यक नहीं है। केवल कुछ संतों में ही गुरु बनने की योग्यता होती है। गुरु का अर्थ ब्रह्म ज्ञान का मार्गदर्शक।


ऋषि

ऋषि वैदिक संस्कृत भाषा का शब्द है। वैदिक ऋचाओं के रचयिताओं को ऋषि का दर्जा प्राप्त है। ऋषि को सैकड़ों सालों के तप या ध्यान के कारण सीखने और समझने के उच्च स्तर पर माना जाता है। वैदिक काल में सभी ऋषि गृहस्थ आश्रम से आते थे।

ऋषि पर किसी तरह का क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और ईर्ष्या आदि की कोई रोकटोक नहीं है और ना ही किसी भी तरह का संयम का उल्लेख मिलता है। ऋषि अपने योग के माध्यम से परमात्मा को प्राप्त हो जाते थे और अपने सभी शिष्यों को आत्मज्ञान की प्राप्ति करवाते थे।

विश्वामित्र, वशिष्ठ, अगत्स्य, अत्रि, अंगिरा आदि महान ऋषि हुए हैं

हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में चार प्रकार के ऋषियों का जिक्र है।


1 .
महान ऋषि

महान ऋषि जोकि ऋषियों के भी ऋषि होते थे।

2 .
राजर्षि

इसका मतलब है कि कोई राजा ऋषियों के स्तर का ज्ञान प्राप्त कर लेता था, उन्हें राजर्षि कहा जाता था।

3.
देवर्षि

अगर कोई देवता बहुत ज्यादा ज्ञान प्राप्त कर लेता है तो उन्हें देवर्षि कहा जाता है। जैसे नारद मुनि जोकि एक देवर्षि भी हैं।

4. 
ब्रह्मर्षि

ब्रह्मर्षि वो होते हैं जिनके पास अपार अद्यात्मिक ज्ञान होता है। जैसे ब्रह्मर्षि वसिष्ठ और ब्रह्मर्षि विश्वामित्र जोकि श्रीराम जी के गुरु थे।

मुनि   

मुनिशब्द का अर्थ मौन (शांति) है अर्थात जो थोड़ा या कम बोलते हैं उन्हें मुनि कहा जाता है। एक ऋषि या साधु, विशेष रूप से मौन को पूरा करने की शपत लेते हैं, या जो बोलते भी हैं तो वो बहुत कम बोलते हैं,  और  जिसके मन में किसी भी कामना कोई भी लालच नहीं आता है। 

उसका मन एकदम शांत है। में यहाँ आप को बता दू मुनि का संबंध बाहरी मौन से नहीं है।क्युके हम कई बार मौन धारण करते हैं लेकिन फिर भी हमारे अंदर लगातार कोई कोई विचार चलता रहता है। कोई बड़बड़ाता रहता है तो कोई अपने उपर झुंझलाता है, तो कोई आनंद में गीत गाता है।

मतलब जिनका चित्त दुःख से दःखी नहीं होता, जो सुख की इच्छा नहीं करते और जो राग, भय और क्रोध से रहित हैं, ऐसे स्थिर मन वाले मुनि कहलाते हैं।इनके सोचने की शक्ति हम सब से बहुत ही ज्यादा और आगे होती है।

 

 साधु   https://bit.ly/2VadsYB

साधना करने वाले व्यक्ति को साधु कहा जाता है। साधु होने के लिए विद्वान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि साधना कोई भी कर सकता है

  प्राचीन काल में कई व्यक्ति समाज से हट कर या कई बार समाज में ही रहकर किसी विषय की साधना करते थे और उस विषय में  विशेष  ज्ञान प्राप्त करते थे।

 विषय को साधने या उसकी साधना करने के कारण ही उन्हें साधु कहा गया। 

कई बार अच्छे और बुरे व्यक्ति में फर्क करने के लिए भी साधु शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसका कारण है कि साधना करने वाला व्यक्ति हमेशा सरल, सीधा और लोगों की भलाई करने वाला होता है। आम बोलचाल में साध का अर्थ सीधा होता है। संस्कृत में साधु शब्द का मतलब है सज्जन व्यक्ति मतलब gentlemen


  संत  

संतशब्द संस्कृत केसत्’ ya shaant शब्द से बना है  जिसेसत्यकी अनुभूति हो गई है या फिर जिसकी कामनाएँ शांत हो चुकी है।  मतलब  जो व्यक्ति संसार और अध्यात्म के बीच संतुलन बना लेता है, उसे संत कहते हैं। isliye बहुत से साधु, महात्मा संत नहीं बन सकते क्योंकि घर-परिवारको त्यागकर मोक्ष की प्राप्ति के लिए चले जाते हैं, हिन्दू धर्म के महान संत जैसे- संत कबीरदास, संत तुलसीदास, संत रविदास माने जाते है ईश्वरके भक्त या धार्मिक पुरुष को भी संत कहते हैं।  संत होना गुण भी है और योग्यता भी।

 

 संन्यासी   

सन्न्यासी शब्द सन्न्यास से निकला हुआ है जिसका अर्थ त्याग करना होता है।Kyu ke त्याग करने वाले को ही सन्न्यासी कहा जाता है। सन्न्यासी संपत्ति का त्याग करता है, गृहस्थ जीवन का त्याग करता है या अविवाहित रहता है, समाज और सांसारिक जीवन का त्याग करता है और योग ध्यान का अभ्यास करते हुए अपने आराध्य की भक्ति में लीन हो जाता है।हिन्दू धर्म में आदि शंकराचार्य को महान सन्न्यासी माना गया है।

 

आचार्य :   

आचार्य उसे कहते हैं जिसे वेदों और शास्त्रों का ज्ञान हो और जो गुरुकुल मेंविद्यार्थियों को शिक्षा देने का कार्य करता हो। आचार्य का अर्थ यह कि जो आचार, नियमों और सिद्धातों आदि का अच्छा ज्ञाता हो और दूसरों को उसकी शिक्षा देता हो। वह जो कर्मकाण्ड का अच्छा ज्ञाता हो और यज्ञों   में मुख्य पुरोहित का काम करता हो उसे भी आचार्य कहा जाता था। आजकल आचार्य किसी महाविद्यालय के प्रधान अधिकारी और अध्यापक को कहा जाता है।

 

पुजारी :   

इस शब्द से इसका अर्थ प्रकट होता है मतलब पूजा और पाठ। अर्थात जो मंदिर या अन्य किसी स्थान पर पूजा पाठ करता हो वह पुजारी। किसी देवी-देवता की मूर्ति या प्रतिमा की पूजा करने वाले व्यक्ति को bhi पुजारी कहा जाता है। 


पंडित :  https://bit.ly/2VadsYB

पंडः का अर्थ विद्वान या अध्यापक से है मतलब scholar   इसे   निपुण भी कह सकते हैं। किसी विशेष विद्या का ज्ञान रखने वाला ही पंडित होता है। प्राचीन भारत में, वेद शास्त्रों आदि के बहुत बड़े ज्ञाता को पंडित कहा जाता था। इस पंडित को ही पाण्डेय, पाण्डे, कहते हैं। आजकल यह नाम ब्रह्मणों का उपनाम भी बन गया है। कश्मीर के ब्राह्मणों को तो कश्मीरी पंडितों के नाम से ही जाना जाता है। पंडित की पत्नी को देशी भाषा में पंडिताइन कहने का चलन है।                                                                                         

ब्राह्मण  

जो व्यक्ति  ईश्वरवादी, वेदपाठी,   सरल, एकांतप्रिय, सत्यवादी और बुद्धिमान हो उसे ब्राह्मण कहते है  ब्राह्मण शब्द ब्रह्म (ईश्वर) से बना है। मतलब जो ईश्वर को छोड़कर अन्य किसी को नहीं पूजता kyu ke ब्राह्मण का अर्थ है "ईश्वर का ज्ञाता"

तो अब आप को इन् सभी संज्ञाओ का मतलब समझ में आया होगा, आज के लिए इतना ही   

Disclaimer

इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Anything Nx Channel इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें

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